हे विश्व पूज्य इंग्लिश मौसी तोते सा मै तुझको रटता,
होती तू मुझको यद् नहीं परेशान मैं नित ही रहता
माना की तुझको पड़कर के ,डिगरी ऍम एस सी पा जाउंगा
फ़ैल हुआ जो कहीं अगर तो विद्यार्थी ही कहलाऊंगा
मीनिंग यदि हो जाये याद स्पेलिंग चक्कर कटवाती
सेंटेंस अगर पूंछे जाते ,तब छाती हाय धड़क जाती
अंग्रेज बिचारे चले गए देकर भारत को आजादी
पर अभी ज़मी इस भारत में चर्चिल चाचा की यह दादी
भारत से तेरे जाने का जब शुभ संदेशा पाउँगा
सच कहता हूँ हे अंगरेजी मै घी का दीप जलाउंगा
यह कविता आचार्य सुरेन्द्र गौतम जी के द्वारा लिखी गई है
Geeta Gyan Prashnottari
10 years ago
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