हे विश्व पूज्य इंग्लिश मौसी तोते सा मै तुझको रटता,
होती तू मुझको यद् नहीं परेशान मैं नित ही रहता
माना की तुझको पड़कर के ,डिगरी ऍम एस सी पा जाउंगा
फ़ैल हुआ जो कहीं अगर तो विद्यार्थी ही कहलाऊंगा
मीनिंग यदि हो जाये याद स्पेलिंग चक्कर कटवाती
सेंटेंस अगर पूंछे जाते ,तब छाती हाय धड़क जाती
अंग्रेज बिचारे चले गए देकर भारत को आजादी
पर अभी ज़मी इस भारत में चर्चिल चाचा की यह दादी
भारत से तेरे जाने का जब शुभ संदेशा पाउँगा
सच कहता हूँ हे अंगरेजी मै घी का दीप जलाउंगा
यह कविता आचार्य सुरेन्द्र गौतम जी के द्वारा लिखी गई है
Sunday, October 24, 2010
Saturday, October 09, 2010
वसुधैव कुटुम्बकं
ईश्वर एक है
इन्द्रं मित्रं वरुणं अग्निमाहुः ।
इन्द्रं मित्रं वरुणं अग्निमाहुः ।
रथो दिव्यः स सुपर्णो गरुत्मान् ।
एकं सद् विप्रा बहुधा वदन्ति ।
अग्निं यमं मातरिश्वान माहुः ।।
ऋग्वेद १/१६४/४६
Monday, October 04, 2010
विडम्बना
अज्ञः सुखमाराध्यः , सुखतरं आराध्यते विशेषज्ञः
ज्ञान-लव दुर्विदग्धं ब्रह्मा अपि तं नरं न रञ्जयति
अर्थात - अबोध को आसानी से समझाया जा सकता है
ज्ञानी को इशारे से समझाया जा सकता है
अंश मात्र ज्ञान से ही जो अपने आप को ज्ञानी मन लेता है उसे पूर्ण विद्वान या स्वयं ब्रह्मा भी समझाने में सक्षम नहीं हैं
नोट- आज हमारे समाज में तथा-कथित समझदारों के कारन हम परेशान हैं
Saturday, October 02, 2010
माँ दुर्गा के प्रभावशाली चित्र
यस्य देवस्य यत रूपं यथा भूषन वाहनं
हम देवता का जिस स्वरुप में ध्यान वा पूजन करते हैं उसी प्रकार देवता हमारा कार्य करता है
बाधाओं को दूर करने के लिए ,किसी के द्वारा दिए गए कष्ट को दूर करने के लिए
हनुमान और भैरव जी के साथ माँ की कृपा प्राप्ति के लिए
शत्रु संहार के लिए ,बाधों को दूर करने के लिए
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