Friday, October 01, 2010

गणेश वंदना

बलिदेव दास की गणपति  वंदना 
                         
सिद्धि के सदन गजवदन विशाल तनु,
       दरश किये ते बेगी हरत कलेश को ,
अरुण  पराग के ललाट पे तिलक सोहे 
      बुद्धि के निधान रूप तेज ज्यों दिनेश को ,
मंगल करण भव हरण शरण गए 
       उदित प्रभाव जगत विदित सुरेश को 
जेते शुभ कारज तामे पूजिए प्रथम ताहि 
        ऐसे जग वंदन सुनंदन महेश को, 

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