Tuesday, October 06, 2009

विद्वान्‌ सर्वत्र पूज्यते
विद्वत्त्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान्‌ सर्वत्र पूज्यते॥

vidvattvaṁ ca nṛpatvaṁ ca naiva tulye kadācanasvadeśe pūjyate rājā vidvān sarvatra pūjyate

"Being a scholar and being a king are never comparable।A king is worshipped in his own country whereas a scholar is respected everywhere।"

विद्या दानं सदा श्रेष्ठम
अन्नदानं परं दानं विद्या दानम् अतः परम्।अन्नेन क्षणिका तृप्तिः यावज्जीवञ्च विद्यया॥
annadānaṁ paraṁ dānaṁ vidyā dānam ataḥ paramannena kṣaṇikā tṛptiḥ yāvajjīvañca vidyayā
"The offering of food is great; the offering of education is even greater।While food satisfies only momentarily, education satisfies during the entire course of life।"

अतः हम शिक्षकों को विद्या दान अवश्य करना चाहिए

Tuesday, September 29, 2009

प्रिय सज्जनाः
प्रथमं अहम् सर्वेभ्यः नवरात्र दशहरा -उत्सवस्य च शुभाकामनाम प्रयच्छामि
माँ दुर्गा आपका हमेशा कल्याण करें


यह पर्व जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों को पराजित करके विजय प्राप्त करने के लिए और उस विजय को स्थिर करने के लिए महत्त्वपूर्ण है अतः हमें आदि शक्ति से शक्ति हेतु अवश्य प्रार्थना करनी चाहिए
शुभमस्तु

Monday, September 14, 2009

मेरे प्रिय बंधुओं मैं आपके स्नेह का अत्यन्त आभारी हूँ और मुझे विश्वाश है मुझे आपके द्वारा यह स्नेह और उत्साह वर्धन हमेशा मिलता रहेगा इसी आशा के साथ ----------
आपका भूपेंद्र पांडेय
समादरणीय पाठक जी !
आपका सुंदर स्नेह समन्वित प्रेरक अंश पढ़कर मैं बहुत ही उत्साहित हूँ .
आपकी इच्छानुसार भारतीय वैदिक /साहित्यिक अंशो को स्वज्ञानानुसार यथा समय लिखने का भी मैं
प्रयास करूँगा .
आपके स्नेहांश के लिए ह्रदय से धन्यवाद

Tuesday, September 08, 2009

कुछ अपने बारे में

मैं एक संस्कृत का शिक्षक हूँ साथ ही संस्कृत का प्रचारक भी मेरा उद्देश्य संस्कृत के मध्यम से धन कमाना नहीं अपितु संस्कृत का कार्य करना है
अतः पाठकों से विनम्र निवेदन है कि वे भी हर सम्भव संस्कृत का प्रचार करें
जयतु संस्कृतं जयतु भारतं

Monday, September 07, 2009

आज से ही मैंने अपना ब्लॉग चालू कर दिया है
इसका उद्देश्य अपना प्रदर्शन नहीं अपितु अपने आप को परखना है अतः उस बिन्दु को ही वरीयता दें!