Monday, October 04, 2010

विडम्बना

अज्ञः सुखमाराध्यः , सुखतरं आराध्यते विशेषज्ञः 
ज्ञान-लव दुर्विदग्धं ब्रह्मा अपि तं नरं न रञ्जयति 
अर्थात - अबोध को आसानी से समझाया जा सकता है 
ज्ञानी को इशारे से समझाया जा सकता है 
अंश मात्र ज्ञान से ही जो अपने आप को ज्ञानी मन लेता है उसे पूर्ण विद्वान या स्वयं ब्रह्मा भी समझाने में सक्षम नहीं हैं 
नोट- आज हमारे समाज में तथा-कथित समझदारों के कारन हम परेशान हैं 

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