
Geeta Gyan Prashnottari
10 years ago
सर्वां भाषां पठित्वा अपि ,संस्कृतं तु पुनः पुनः ,
विद्वान् सर्वत्र पूज्यते
विद्वत्त्वं च नृपत्वं च नैव तुल्यं कदाचन।स्वदेशे पूज्यते राजा विद्वान् सर्वत्र पूज्यते॥
vidvattvaṁ ca nṛpatvaṁ ca naiva tulye kadācanasvadeśe pūjyate rājā vidvān sarvatra pūjyate
"Being a scholar and being a king are never comparable।A king is worshipped in his own country whereas a scholar is respected everywhere।"
यह पर्व जीवन में आने वाली कठिन परिस्थितियों को पराजित करके विजय प्राप्त करने के लिए और उस विजय को स्थिर करने के लिए महत्त्वपूर्ण है अतः हमें आदि शक्ति से शक्ति हेतु अवश्य प्रार्थना करनी चाहिए
शुभमस्तु